संवाद चल रहा था, “कीमत”और “उपयोगिता” में ,कुछ खास।
साक्षी बनने का मौका मिला था , बस अनायास ।।
साझा करता हूं ,कुछ मुख्य आकर्षण ।
जिन्होंने प्रभावित किया, मेरा मन ।।

“कीमत” ने कहा, आजकल ,में ही हूं ,जो सबको देती धता ।
कीमत देखकर ही आंकते है ,लोग ,वस्तु की उपयोगिता।
आज का मानव तो रिश्तों की भी लगा देता है “कीमत” ।।
“उपयोगिता “ बोली जब आता है वक्त मेरे उपयोग का ।
कोई नही करता जिक्र ,फिर उसकी कीमत का ।।

आज सब तरफ छूट, यानि डिस्काउंट का बाजार है ।
70 प्रतिशत से ज्यादा तक छूट देने वालों के
व्यापार ज्ञान पर ही सवाल है ।।
एमआरपी( अधिकतम खुदरा मूल्य) ,शायद एक फ्लेक्सिबल संख्या है ।
तभी तो शायद ,इसका संबंध कॉस्ट से कम,और छूट से ज्यादा है।
और हमें उपयोगिता का आंकलन ,सिर्फ कीमत से करना आता है ।।

प्रकृति ने जो दिया मुफ्त ( हवा/ पानी) ,उसपे भी ,लगा दी कीमत भारी ।।
कीमत केंद्रित मानव ने , बुन लिया अर्थ का जाल भारी ।।
इस अर्थ के जंजाल ने बनाया मानव को व्यभचारी ।
और कीमत हो जाती है ,उपयोगिता पर भारी ।।

हमें जीवन में उपयोगिता का करना है समर्थन ।
क्योंकि उपयोगिता ही है अंतिम और सही लक्षण।।
वस्तु की उपयोगिता को मापो, जीवन के लक्ष्य से ।
और न नापो उन्हें सिर्फ कीमत यानी पैसे से ।।

आनंद प्रकाश
६ अक्टूबर २०२१

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